दूसरों का घर बनाने वाले मिस्त्री के घर का छप्पर फट गया.
चौंकिए नहीं एक बार फिर लक्ष्मी ने लॉटरी का मार्ग अपनाया है और इस बार पहुँच गईं केरल के एक मिस्त्री के घर.
दिहाड़ी मजदूर मंगद बंसराज को पाँच करोड़ 20 लाख रूपए का जैकपॉट लगा है और लॉटरी कंपनी उन्हे भारत दर्शन पर भी ले जाने वाली है.
अनपढ़ बंसराज अब चाहते हैं कि वे इन पैसों से या तो वे स्कूल बनवाएँ या फिर ग़रीबों के लिए अस्पताल.
बंसराज को सिक्किम सुपर ड्रॉ लॉटरी जीतने की ख़बर एक स्थानीय अख़बार से मिली जिसमें लिखा था कि लॉटरी कंपनी विजेता को ढूँढने का प्रयास कर रही है.
बँगलौर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बंसराज ने कहा वे हमेशा लॉटरी टिकट ख़रीदना चाहते थे लेकिन उनके गाँव में, जिसका भी नाम मंगद है, टिकट ख़रीदना मुश्किल है.
उन्होंने कहा "मैं हमेशा टिकट ख़रीदने दोस्तों को भेजा करता था लेकिन इस बार स्वंय ख़रीदा".
उन्होंने दस-दस रूपये के दो टिकट ख़रीदे थे.
जब बंसराज को पता चला कि उनकी लॉटरी लग गई है तो उनकी सबसे बड़ी चिंता थी एक बैंक खाता खोलने की.
उन्होंने कहा "जीवन में कभी किसी बैंक में कोई खाता नहीं खोला था. लेकिन मुझे ज़्यादा देर चिंता नहीं करनी पड़ी और ख़बर मिलते ही बहुत सारे बैंकवाले ही मेरे पास पहुँच गए".
बंसराज कहते हैं कि "मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है कि मुझे इतना सारा पैसा मिलेगा".
लेकिन अभी इन पैसों से वो गाड़ी ख़रीदने की नहीं सोच रहे हैं, उन्हे साइकिल चलाना भी नहीं आता है.
हालाँकि लॉटरी लगने की ख़बर सुनने के बाद उन्होंने अपनी चार साल की बेटी के लिए स्कूल बैग ज़रूर ख़रीद दिया.
इतना सारा पैसा जीतने के बावजूद बंसराज का कहना है कि वे अपना काम नहीं छोड़ेंगे.
उन्होंने कहा "मैं जीवन में केवल यही काम जानता हूँ. मैं दूसरों के लिए घर बनाता रहूँगा".
लेखन मनुष्य की आत्माभिव्यक्ति का ही एक साधन मात्र है और इस आत्माभिव्यक्ति के लिए निजभाषा से श्रेष्ठ अन्य कोई माध्यम नहीं हो सकता।
मंगलवार, अगस्त 29, 2006
गाओ हिन्दी का राग : वन्दे मातरम्
वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्य श्यामलां मातरम् ।
शुभ्र ज्योत्स्न पुलकित यामिनीम
फुल्ल कुसुमित द्रुमदलशोभिनीम्,
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीम् ।
सुखदां वरदां मातरम् ॥ वन्दे मातरम्…
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सप्त कोटि कन्ठ कलकल निनाद कराले
निसप्त कोटि भुजैब्रुत खरकरवाले
के बोले मा तुमी अबले
बहुबल धारिणीं नमामि तारिणीम्
रिपुदलवारिणीं मातरम् ॥ वन्दे मातरम्…
तुमि विद्या तुमि धर्मं, तुमि ह्रदि तुमि मर्म
त्वं हि प्राणाः शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
ह्रदये तुमि मा भक्ति,
तोमारे प्रतिमा गडि मंदिरे मंदिरे ॥ वन्दे मातरम्…
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दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदल विहारिणीवाणी
विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलाम्
सुजलां सुफलां मातरम् ॥ वन्दे मातरम्…
श्यामलां सरलां सुस्मितां भुषिताम्
धरणीं भरणीं मातरम् ॥ वन्दे मातरम्
-- बंकिम चन्द्र चटर्जी
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