मंगलवार, अगस्त 29, 2006

लॉटरी ने बदली क़िस्मत

दूसरों का घर बनाने वाले मिस्त्री के घर का छप्पर फट गया.

चौंकिए नहीं एक बार फिर लक्ष्मी ने लॉटरी का मार्ग अपनाया है और इस बार पहुँच गईं केरल के एक मिस्त्री के घर.

दिहाड़ी मजदूर मंगद बंसराज को पाँच करोड़ 20 लाख रूपए का जैकपॉट लगा है और लॉटरी कंपनी उन्हे भारत दर्शन पर भी ले जाने वाली है.

अनपढ़ बंसराज अब चाहते हैं कि वे इन पैसों से या तो वे स्कूल बनवाएँ या फिर ग़रीबों के लिए अस्पताल.

बंसराज को सिक्किम सुपर ड्रॉ लॉटरी जीतने की ख़बर एक स्थानीय अख़बार से मिली जिसमें लिखा था कि लॉटरी कंपनी विजेता को ढूँढने का प्रयास कर रही है.

बँगलौर में पत्रकारों से बातचीत करते हुए बंसराज ने कहा वे हमेशा लॉटरी टिकट ख़रीदना चाहते थे लेकिन उनके गाँव में, जिसका भी नाम मंगद है, टिकट ख़रीदना मुश्किल है.

उन्होंने कहा "मैं हमेशा टिकट ख़रीदने दोस्तों को भेजा करता था लेकिन इस बार स्वंय ख़रीदा".

उन्होंने दस-दस रूपये के दो टिकट ख़रीदे थे.

जब बंसराज को पता चला कि उनकी लॉटरी लग गई है तो उनकी सबसे बड़ी चिंता थी एक बैंक खाता खोलने की.

उन्होंने कहा "जीवन में कभी किसी बैंक में कोई खाता नहीं खोला था. लेकिन मुझे ज़्यादा देर चिंता नहीं करनी पड़ी और ख़बर मिलते ही बहुत सारे बैंकवाले ही मेरे पास पहुँच गए".

बंसराज कहते हैं कि "मुझे अभी तक विश्वास नहीं हो रहा है कि मुझे इतना सारा पैसा मिलेगा".

लेकिन अभी इन पैसों से वो गाड़ी ख़रीदने की नहीं सोच रहे हैं, उन्हे साइकिल चलाना भी नहीं आता है.

हालाँकि लॉटरी लगने की ख़बर सुनने के बाद उन्होंने अपनी चार साल की बेटी के लिए स्कूल बैग ज़रूर ख़रीद दिया.

इतना सारा पैसा जीतने के बावजूद बंसराज का कहना है कि वे अपना काम नहीं छोड़ेंगे.

उन्होंने कहा "मैं जीवन में केवल यही काम जानता हूँ. मैं दूसरों के लिए घर बनाता रहूँगा".

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